हीरा

हीरा किसे धारण करना चाहिये ? – हीरा शुक्र का रत्न है।

 

शुक्र जिस कुण्डली में शुभ ग्रहों का स्वामी हो, उसके जातक को हीरा धारण करना शुभ फलदायक होगा ।

 

 मेष लग्न के लिये शुक्र द्वितीय और सप्तम का स्वामी होने के कारण प्रबल मारकेश है। इसके अति- रिक्त लग्नेश मंगल और शुक्र में परस्पर मित्रता नहीं है। तब भी कुण्डली में यदि शुक्र स्वगृही हो या अपनी उच्च राशि में हो या शुभ स्थिति में हो तो शुक्र की महादशा में हीरा धारण करने से धन प्राप्ति, दाम्पत्य सुख, विवाह सुख, वाहन सुख हो सकता है। परन्तु साथ ही साथ मारक प्रभाव भी हो सकता है। हम तो यही राय देंगे कि मेष लग्न वाले यदि हीरे से दूर रहें तो अच्छा होगा।

 

वृषभ लग्न के लिये शुक्र लग्नेश है। अतः इस लग्न के जातक स्वास्थ्य लाभ, आयु, बुद्धि तथा जीवन में उन्नति प्राप्ति के लिए सदा हीरा धारण कर सकते हैं। शुक्र की. महादशा में यह विशेष रूप से शुभ फलदायक है।

धारण विधि हीरा प्लेटीनम या चाँदी की अँगूठी में धारण करना चाहिये। जहाँ तक हो सके शुक्रवार के दिन ही यह अँगूठी बनवाई जाये। हीरा बहुत महंगा रत्न है। अपनि वजन के अनुसार 10 वां हिसा पर रत्ती जैसे कि 60 KG वजन हो तो 6 रत्ती धारण करना चाहिए इसलिये हीरे का वजन निर्णित करना उचित न होगा। तब भी हम यह राय देंगे कि हीरा 60 सैन्ट से लेकर 1 कैरेट का धारण करें तो काम चल जायेगा। जो अधिक वजन का धारण करना चाहें तो अच्छा ही होगा। हमारी बताई विधि केअनुसार हीरे की अँगूठी की उपासना करने के बाद और निम्नलिखित मन्त्र का १६००० बार जप कर के किसी शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को प्रातः काल श्रद्धा के साथ कनिष्ठिका अँगुली में धारण करें ।

धारण विधि रत्न अँगूठी में इस प्रकार जड़ा जाये कि वह त्वचा को स्पर्श करे। ऐसो अँगूठी को Touching ring कहते हैं। अँगूठो शुक्ल पक्ष के किसी रविवार के दिन सूर्योदय के समय धारण करनी चाहिये । धारण करने से पूर्व अँगूठी को कच्चे दूध या गंगाजल में डुबोकर रखना चाहिये । फिर उसको शुद्ध जल से स्नान कराकर पुष्प, चन्दनऔर धूपबत्ती से उसकी उपासना करनी चाहिए

मंत्र – ॐ शु’ शुक्राय नमः ।

परन्तु हीरे के साथ माणिक्य, मोती, मूंगा या पीला पुखराज नहीं धारण करना चाहिये ।

 

 

 

मिथुन लग्न के लिये शुक्र द्वादश और पंचम का स्वामी होता है। पंचम त्रिकोण में उसको मूल त्रिकोण राशि पड़ती है। अतः इस लग्न के लिये शुक्र शुभ माना गया है। इसके अतिरिक्त शुक्र और लग्नेश बुध में परस्पर मित्रता है। इस कारण से शुक्र की महादशा में हीरा धारण करने से सन्तान सुख, बुद्धि बल, यश, मान तथा भाग्योन्नति प्राप्त होती है। यदि हीरा पन्ने के साथ धारण किया जाये तो और भी शुभ फलदायक बन जायेगा।

धारण विधि हीरा प्लेटीनम या चाँदी की अँगूठी में धारण करना चाहिये। जहाँ तक हो सके शुक्रवार के दिन ही यह अँगूठी बनवाई जाये। हीरा बहुत महंगा रत्न है। अपनि वजन के अनुसार 10 वां हिसा पर रत्ती जैसे कि 60 KG वजन हो तो 6 रत्ती धारण करना चाहिए इसलिये हीरे का वजन निर्णित करना उचित न होगा। तब भी हम यह राय देंगे कि हीरा 60 सैन्ट से लेकर 1 कैरेट का धारण करें तो काम चल जायेगा। जो अधिक वजन का धारण करना चाहें तो अच्छा ही होगा। हमारी बताई विधि केअनुसार हीरे की अँगूठी की उपासना करने के बाद और निम्नलिखित मन्त्र का १६००० बार जप कर के किसी शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को प्रातः काल श्रद्धा के साथ कनिष्ठिका अँगुली में धारण करें ।

धारण विधि रत्न अँगूठी में इस प्रकार जड़ा जाये कि वह त्वचा को स्पर्श करे। ऐसो अँगूठी को Touching ring कहते हैं। अँगूठो शुक्ल पक्ष के किसी रविवार के दिन सूर्योदय के समय धारण करनी चाहिये । धारण करने से पूर्व अँगूठी को कच्चे दूध या गंगाजल में डुबोकर रखना चाहिये । फिर उसको शुद्ध जल से स्नान कराकर पुष्प, चन्दनऔर धूपबत्ती से उसकी उपासना करनी चाहिए

मंत्र – ॐ शु’ शुक्राय नमः ।

परन्तु हीरे के साथ माणिक्य, मोती, मूंगा या पीला पुखराज नहीं धारण करना चाहिये ।

 

 

 

कर्क लग्न के लिये शुक्र चतुर्थ और एकादश का स्वामी है। ज्योतिष के सिद्धान्तों के अनुसार शुक्र इस लग्न के लिये शुभ ग्रह नहीं माना जाता। इसके अतिरिक्त लग्नेश चन्द्रमा और शुक्र में परस्पर मित्रता नहीं है। फिर भी हमारा मत है कि चतुर्थ और एकादश कुण्डली में शुभ भाव होते हैं। अतः शुक्र की महादशा में हीरा धारण किया जाये तो वह अत्यन्त शुभ फलदायक होगा।

 

सिह लग्न के लिये शुक्र तृतीय और देश का स्वामी होने दशम के कारण शुभ ग्रह नहीं माना जाता। परन्तु यदि एकादश का स्वामी दृशम होकर कुण्डली में लग्न, द्वितीय, चतुर्थ, पंचम, नवम, दशम या एकादश में स्थित हो तो शुक्र की महादशा में हीरा धारण करने से धन प्राप्ति तथा मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।

 

कन्या लग्न के लिये शुक्र द्वितीय और नवम का स्वामी होने से अत्यन्त शुभ और योगकारक ग्रह माना जाता है। अतः हीरा धारण करने से इस लग्न के जातक को हर प्रकार की उन्नति प्राप्त होगी। शुक्र की महादशा में हीरा धारण करना विशेष रूप से शुभ फलदायक होगा। हीरा यदि पन्ने के साथ धारण किया जाये तो और भी उत्तम फल प्राप्त होगा ।

धारण विधि हीरा प्लेटीनम या चाँदी की अँगूठी में धारण करना चाहिये। जहाँ तक हो सके शुक्रवार के दिन ही यह अँगूठी बनवाई जाये। हीरा बहुत महंगा रत्न है। अपनि वजन के अनुसार 10 वां हिसा पर रत्ती जैसे कि 60 KG वजन हो तो 6 रत्ती धारण करना चाहिए इसलिये हीरे का वजन निर्णित करना उचित न होगा। तब भी हम यह राय देंगे कि हीरा 60 सैन्ट से लेकर 1 कैरेट का धारण करें तो काम चल जायेगा। जो अधिक वजन का धारण करना चाहें तो अच्छा ही होगा। हमारी बताई विधि केअनुसार हीरे की अँगूठी की उपासना करने के बाद और निम्नलिखित मन्त्र का १६००० बार जप कर के किसी शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को प्रातः काल श्रद्धा के साथ कनिष्ठिका अँगुली में धारण करें ।

धारण विधि रत्न अँगूठी में इस प्रकार जड़ा जाये कि वह त्वचा को स्पर्श करे। ऐसो अँगूठी को Touching ring कहते हैं। अँगूठो शुक्ल पक्ष के किसी रविवार के दिन सूर्योदय के समय धारण करनी चाहिये । धारण करने से पूर्व अँगूठी को कच्चे दूध या गंगाजल में डुबोकर रखना चाहिये । फिर उसको शुद्ध जल से स्नान कराकर पुष्प, चन्दनऔर धूपबत्ती से उसकी उपासना करनी चाहिए

मंत्र – ॐ शु’ शुक्राय नमः ।

परन्तु हीरे के साथ माणिक्य, मोती, मूंगा या पीला पुखराज नहीं धारण करना चाहिये ।

 

 

 

तुला लग्न के लिये शुक्र लग्न का स्वामी है। अतः इस लग्न के जातक इसको निःसंकोच सदा रक्षा-कवच की तरह धारण कर सकते हैं। इसके धारण करने से स्वास्थ्य लाभ, आयु में वृद्धि, यश, मान, प्रतिष्ठा तथा धन की प्राप्ति होती है। शुक्र की महादशा में तो हीरा अवश्य धारण करना चाहिये ।

धारण विधि हीरा प्लेटीनम या चाँदी की अँगूठी में धारण करना चाहिये। जहाँ तक हो सके शुक्रवार के दिन ही यह अँगूठी बनवाई जाये। हीरा बहुत महंगा रत्न है। अपनि वजन के अनुसार 10 वां हिसा पर रत्ती जैसे कि 60 KG वजन हो तो 6 रत्ती धारण करना चाहिए इसलिये हीरे का वजन निर्णित करना उचित न होगा। तब भी हम यह राय देंगे कि हीरा 60 सैन्ट से लेकर 1 कैरेट का धारण करें तो काम चल जायेगा। जो अधिक वजन का धारण करना चाहें तो अच्छा ही होगा। हमारी बताई विधि केअनुसार हीरे की अँगूठी की उपासना करने के बाद और निम्नलिखित मन्त्र का १६००० बार जप कर के किसी शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को प्रातः काल श्रद्धा के साथ कनिष्ठिका अँगुली में धारण करें ।

धारण विधि रत्न अँगूठी में इस प्रकार जड़ा जाये कि वह त्वचा को स्पर्श करे। ऐसो अँगूठी को Touching ring कहते हैं। अँगूठो शुक्ल पक्ष के किसी रविवार के दिन सूर्योदय के समय धारण करनी चाहिये । धारण करने से पूर्व अँगूठी को कच्चे दूध या गंगाजल में डुबोकर रखना चाहिये । फिर उसको शुद्ध जल से स्नान कराकर पुष्प, चन्दनऔर धूपबत्ती से उसकी उपासना करनी चाहिए

मंत्र – ॐ शु’ शुक्राय नमः ।

परन्तु हीरे के साथ माणिक्य, मोती, मूंगा या पीला पुखराज नहीं धारण करना चाहिये ।

 

 

 

वृश्चिक लग्न के लिये व्यय भाव तथा सप्तम भाव (कारक स्थान) का स्वामी होता है। इसके अतिरिक्त लग्नेश मंगल और शुक्र में परस्पर मित्रता नहीं है। अतः इस लग्न के जातक को हीरा धारण नहीं करना चाहिये।

 

धनु लग्न के लिये शुक्र षष्ठ और एकादश का स्वामी होने के कारण शुभ ग्रह नहीं माना गया है। इसके अतिरिक्त शुक्र लग्नेश बृहस्पति का शत्रु है। तब भी यदि एकादश का स्वामी होकर कुण्डली में शुक्र द्वितीय, चतुर्थ, पंचम, नवम, एकादश या लग्न में स्थित हो तो शुक्र की महादशा में हीरा धारण करने से आर्थिक लाभ और भाग्योन्नति होगी।

 

मकर लग्न तथा कुम्भ लग्न के लिये क्रमशः पंचम तथा दशम और चतुर्थ और नवम का स्वामी होने के कारण शुक्र अत्यन्त शुभ और योगकारक ग्रह माना गया है। इन लग्नों के जातक को हीरा धारण करने से हर प्रकार से उन्नति प्राप्त होगी। शुक्र की महादशा में तो इनको हीरा अवश्य धारण करना चाहिये । हीरा यदि नीलम के साथ धारण किया जाये तो और भी उत्तम फलदायक होगा।

धारण विधि हीरा प्लेटीनम या चाँदी की अँगूठी में धारण करना चाहिये। जहाँ तक हो सके शुक्रवार के दिन ही यह अँगूठी बनवाई जाये। हीरा बहुत महंगा रत्न है। अपनि वजन के अनुसार 10 वां हिसा पर रत्ती जैसे कि 60 KG वजन हो तो 6 रत्ती धारण करना चाहिए इसलिये हीरे का वजन निर्णित करना उचित न होगा। तब भी हम यह राय देंगे कि हीरा 60 सैन्ट से लेकर 1 कैरेट का धारण करें तो काम चल जायेगा। जो अधिक वजन का धारण करना चाहें तो अच्छा ही होगा। हमारी बताई विधि केअनुसार हीरे की अँगूठी की उपासना करने के बाद और निम्नलिखित मन्त्र का १६००० बार जप कर के किसी शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को प्रातः काल श्रद्धा के साथ कनिष्ठिका अँगुली में धारण करें ।

धारण विधि रत्न अँगूठी में इस प्रकार जड़ा जाये कि वह त्वचा को स्पर्श करे। ऐसो अँगूठी को Touching ring कहते हैं। अँगूठो शुक्ल पक्ष के किसी रविवार के दिन सूर्योदय के समय धारण करनी चाहिये । धारण करने से पूर्व अँगूठी को कच्चे दूध या गंगाजल में डुबोकर रखना चाहिये । फिर उसको शुद्ध जल से स्नान कराकर पुष्प, चन्दनऔर धूपबत्ती से उसकी उपासना करनी चाहिए

मंत्र – ॐ शु’ शुक्राय नमः ।

परन्तु हीरे के साथ माणिक्य, मोती, मूंगा या पीला पुखराज नहीं धारण करना चाहिये ।

 

 

 

मीन लग्न के लिये शुक्र तृतीय और अष्टम का स्वामी होने के कारण अत्यन्त शुभ ग्रह माना गया है। इस लग्न के जातक को हीरा कभी धारण नहीं करना चाहिये ।

 

धारण विधि हीरा प्लेटीनम या चाँदी की अँगूठी में धारण करना चाहिये। जहाँ तक हो सके शुक्रवार के दिन ही यह अँगूठी बनवाई जाये। हीरा बहुत महंगा रत्न है। अपनि वजन के अनुसार 10 वां हिसा पर रत्ती जैसे कि 60 KG वजन हो तो 6 रत्ती धारण करना चाहिए इसलिये हीरे का वजन निर्णित करना उचित न होगा। तब भी हम यह राय देंगे कि हीरा 60 सैन्ट से लेकर 1 कैरेट का धारण करें तो काम चल जायेगा। जो अधिक वजन का धारण करना चाहें तो अच्छा ही होगा। हमारी बताई विधि केअनुसार हीरे की अँगूठी की उपासना करने के बाद और निम्नलिखित मन्त्र का १६००० बार जप कर के किसी शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को प्रातः काल श्रद्धा के साथ कनिष्ठिका अँगुली में धारण करें ।

धारण विधि रत्न अँगूठी में इस प्रकार जड़ा जाये कि वह त्वचा को स्पर्श करे। ऐसो अँगूठी को Touching ring कहते हैं। अँगूठो शुक्ल पक्ष के किसी रविवार के दिन सूर्योदय के समय धारण करनी चाहिये । धारण करने से पूर्व अँगूठी को कच्चे दूध या गंगाजल में डुबोकर रखना चाहिये । फिर उसको शुद्ध जल से स्नान कराकर पुष्प, चन्दनऔर धूपबत्ती से उसकी उपासना करनी चाहिए

मंत्र – ॐ शु’ शुक्राय नमः ।

परन्तु हीरे के साथ माणिक्य, मोती, मूंगा या पीला पुखराज नहीं धारण करना चाहिये ।

 

 

जो लोग हीरा खरीदने में असमर्थ हैं वे बदल में ३ रत्ती से अधिक वजन का सफेद पुखराज, सफेद जिरकान या सफेद तुरमली धारण कर सकते हैं। जो यह रत्न भी खरीदने में असमर्थ हों वे सफेद स्फटिक (बिल्लौर) कम से कम ६ रत्ती वजन की चाँदी की अंगूठी में धारण करें

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