मूंगा
मूंगा किसे धारण करना चाहिए ? – मूंगा मंगल का रत्न है। जिस कुण्डली में मंगल शुभ भाव का स्वामी हो उसके जातक को मूंगा धारण करना लाभप्रद होगा। यदि मंगल अशुभ भावों का स्वामी हो तो उसके जातक को मूंगा धारण नहीं करना चाहिए ।
मेष लग्न में मंगल लग्न का स्वामी लग्नेश मंगल होता है। अतः मेष लग्न के जातक को मूंगा आजीवन धारण करना चाहिए। उसके धारण करने से आयु में वृद्धि, स्वास्थ्य में उन्नति, यश, मान प्राप्त होगा तथा जातक हर प्रकार से सुखी रहेगा। मूंगा सोने की अंगूठी में जड़ा जाना चाहिए। मूंगे का वजन ६ रत्ती से कम का न होना चाहिए। मूंगा यदि मंगलवार के दिन खरीदा जाये और अँगूठी में जड़वाया जाये तो अच्छा होगा । मुंगे की अंगूठी को विधिपूर्वक उपासनादि तथा ॐअं अंगारकाय नमः १०००० बार निम्न- लिखित मन्त्र का जाप करने के पश्चात् किसी शुक्ल पक्ष के मंगलवार को सूर्योदय से एक घण्टे पश्चात् धारण करना चाहिए। अँगूठी दाहिने या बायें हाथ की अनामिका अँगुली (Ring finger) में धारण करनी चाहिए ।
धारण विधि रत्न अँगूठी में इस प्रकार जड़ा जाये कि वह त्वचा को स्पर्श करे। ऐसो अँगूठी को Touching ring कहते हैं। अँगूठो शुक्ल पक्ष के किसी रविवार के दिन सूर्योदय के समय धारण करनी चाहिये । धारण करने से पूर्व अँगूठी को कच्चे दूध या गंगाजल में डुबोकर रखना चाहिये । फिर उसको शुद्ध जल से स्नान कराकर पुष्प, चन्दनऔर धूपबत्ती से उसकी उपासना करनी चाहिए
परन्तु सावधान ! मूंगे के साथ पन्ना, हीरा. नीलम, गोमेद और वैदूर्य कभी नहीं धारण करना चाहिए
वृषभ लग्न में मंगल द्वादश और सप्तम का स्वामी होता है। अतः इस लग्न के जातक को मूंगा धारण नहीं करना चाहिए।
मिथुन लग्न में मंगल पष्ठ और एकादश का स्वामी है। यदि मंगल एकादश या षष्ठ में ही स्थित हो तो मंगल की महादशा में मूंगा धारण किया जा सकता है। हम तो यही सलाह देंगे कि मिथुन लग्न के जातक यदि मूंगे से दूर ही रहें तो अच्छा ही है क्योंकि लग्नेश बुध और मंगल परस्पर मित्र नहीं हैं।
कर्क लग्न के लिए मंगल पंचम और दशम भाव का स्वामी होने के कारण एक योग कारक ग्रह है। मूंगा सदा धारण करने से सन्तान सुख, बुद्धि बल, भाग्योन्नति, यश, मान, प्रतिष्ठा, राज्य कृपा तथा व्यवसाय में सफलता प्राप्त होती है। यदि लग्नेश के रत्न मोती के साथ मूंगा धारण किया जाये तो बहुत ही शुभ फलदायक होता है- विशेषकर स्त्रियों के लिए। मंगल की महादशा में इसका धारण करना पूर्णरूप से लाभप्रद है। मूंगा सोने की अंगूठी में जड़ा जाना चाहिए। मूंगे का वजन ६ रत्ती से कम का न होना चाहिए। मूंगा यदि मंगलवार के दिन खरीदा जाये और अँगूठी में जड़वाया जाये तो अच्छा होगा । मुंगे की अंगूठी को विधिपूर्वक उपासनादि तथा ॐअं अंगारकाय नमः १०००० बार निम्न- लिखित मन्त्र का जाप करने के पश्चात् किसी शुक्ल पक्ष के मंगलवार को सूर्योदय से एक घण्टे पश्चात् धारण करना चाहिए। अँगूठी दाहिने या बायें हाथ की अनामिका अँगुली (Ring finger) में धारण करनी चाहिए ।
धारण विधि रत्न अँगूठी में इस प्रकार जड़ा जाये कि वह त्वचा को स्पर्श करे। ऐसो अँगूठी को Touching ring कहते हैं। अँगूठो शुक्ल पक्ष के किसी रविवार के दिन सूर्योदय के समय धारण करनी चाहिये । धारण करने से पूर्व अँगूठी को कच्चे दूध या गंगाजल में डुबोकर रखना चाहिये । फिर उसको शुद्ध जल से स्नान कराकर पुष्प, चन्दनऔर धूपबत्ती से उसकी उपासना करनी चाहिए
परन्तु सावधान ! मूंगे के साथ पन्ना, हीरा. नीलम, गोमेद और वैदूर्य कभी नहीं धारण करना चाहिए
सिह लग्न में भी चतुर्थ और नवम भावों का स्वामी होने के कारण मंगल योगकारक ग्रह माना जाता है। यह मानसिक शान्ति, गृह तथा भूमि लाभ, धन लाभ, मातृ सुख, यश, मान, प्रतिष्ठा और भाग्योन्नति देता है। यदि यह माणिक्य के साथ धारण किया जाए तो और भी अधिक लाभ पहुंचाता है। मंगल की महादशा में इसका धारण करना विशेष रूप से शुभ फलप्रद है।
मूंगा सोने की अंगूठी में जड़ा जाना चाहिए। मूंगे का वजन ६ रत्ती से कम का न होना चाहिए। मूंगा यदि मंगलवार के दिन खरीदा जाये और अँगूठी में जड़वाया जाये तो अच्छा होगा । मुंगे की अंगूठी को विधिपूर्वक उपासनादि तथा ॐअं अंगारकाय नमः १०००० बार निम्न- लिखित मन्त्र का जाप करने के पश्चात् किसी शुक्ल पक्ष के मंगलवार को सूर्योदय से एक घण्टे पश्चात् धारण करना चाहिए। अँगूठी दाहिने या बायें हाथ की अनामिका अँगुली (Ring finger) में धारण करनी चाहिए ।
धारण विधि रत्न अँगूठी में इस प्रकार जड़ा जाये कि वह त्वचा को स्पर्श करे। ऐसो अँगूठी को Touching ring कहते हैं। अँगूठो शुक्ल पक्ष के किसी रविवार के दिन सूर्योदय के समय धारण करनी चाहिये । धारण करने से पूर्व अँगूठी को कच्चे दूध या गंगाजल में डुबोकर रखना चाहिये । फिर उसको शुद्ध जल से स्नान कराकर पुष्प, चन्दनऔर धूपबत्ती से उसकी उपासना करनी चाहिए
परन्तु सावधान ! मूंगे के साथ पन्ना, हीरा. नीलम, गोमेद और वैदूर्य कभी नहीं धारण करना चाहिए
Mars is considered a Yogakarka planet in Leo Lagna also because it is the lord of the fourth and ninth houses. It gives mental peace, home and land benefits, wealth benefits, maternal happiness, fame, honour, prestige and fortune. If it is worn with ruby, it gives even more benefits. Wearing it in the Mahadasha of Mars is especially auspicious.
Coral should be embedded in a gold ring. The weight of coral should not be less than 6 ratti. It would be good if coral is bought on Tuesday and embedded in the ring. Coral ring should be worn on any Tuesday of Shukla Paksha one hour after sunrise after performing proper worship and chanting the following mantra Om Ang Angarakaya Namah 10000 times. The ring should be worn on the ring finger of the right or left hand. Method of wearing: The gemstone should be set in the ring in such a way that it touches the skin. Such a ring is called a touching ring. The ring should be worn on a Sunday of the Shukla Paksha at sunrise. Before wearing the ring, it should be dipped in raw milk or Ganga water. Then it should be bathed in pure water and worshipped with flowers, sandalwood and incense sticks. But be careful! Emerald, diamond, sapphire, onyx and vaidurya should never be worn with coral.
कन्या लग्न में मंगल तृतीय और अष्टम दो अशुभ भावों का स्वामी होता है। कन्या लग्न के जातक को मूंगा नहीं धारण करना चाहिए।
तुला लग्न में मंगल द्वितीय तथा सप्तम, दो मारक स्थान का स्वामी होता है। अतः हमारी तो यही सलाह है कि इस लग्न वाले यदि मूंगे की ओर न आषित हों तो अच्छा ही है। हाँ, यदि मंगल द्वितीय भाव में स्व- राशि में हो तो मंगल की महादशा में यदि उनकी मृत्यु का समय निकट न आ गया हो तो मूंगा धारण करके धन लाभ प्राप्त कर सकते हैं। सिद्धान्ततः हम एक मारकेश ग्रह का जो लग्नेश का मित्र न हो, रत्न धारण के पक्ष में नहीं हैं।
वृश्चिक लग्न में मंगल लग्नेश है। अतः इस लग्न के जातक के लिए मूंगा धारण करना उसी प्रकार शुभ- प्रद होगा जैसे हमने मेष लग्न के सम्बन्ध में लिखा है।
धनु लग्न में मंगल पंचम त्रिकोण तथा द्वादश का स्वामी है। एक त्रिकोण का स्वामी होने के कारण मंगल इस लग्न के लिए शुभ ग्रह माना गया है। इसके धारण करने से सन्तान सुख, बुद्धि बल, यश, मान तथा भाग्योन्नति प्राप्त होती है। मंगल की महादशा में इसे धारण करना विशेष लाभकर है।
मकर लग्न में मंगल चतुर्थ और एकादश भावों का स्वामी है। मंगल की महादशा में मूंगा धारण करने से मातृ-सुख, भूमि, ग्रह, वाहन-सुख की प्राप्ति तथा आर्थिक लाभ होता है।
कुम्भ लग्न के लिए मगल तृतीय तथा दशम भावों का स्वामी है। यदि मंगल दशम में स्त्रराशि में हो तो मंगल की महादशा में इसके धारण करने से राज्य कृपा, व्यवसाय में उन्नति तथा यश, मान प्राप्त होता है। क्योंकि इस लग्न के लिए मंगल शुभ नहीं है। अतः इस लग्न के जातक को मूंगा धारण नहीं करना चाहिए।
मीन लग्न के लिए मंगल द्वितीय भाव और नवम त्रिकोण का स्वामी होने के कारण अत्यन्त शुभ ग्रह माना गया है। इसलिए इस लग्न के जातक को मूंगा धारण करना शुभ फलदायक होगा। मंगल की महादशा में इसको धारण करना विशेष रूप से लाभप्रद होगा। यदि इस लग्न के जातक मूंगा मोती या पीले पुखराज के साथ धारण करें तो उन्हें सब प्रकार का सुख प्राप्त होगा।
मूंगा सोने की अंगूठी में जड़ा जाना चाहिए। मूंगे का वजन ६ रत्ती से कम का न होना चाहिए। मूंगा यदि मंगलवार के दिन खरीदा जाये और अँगूठी में जड़वाया जाये तो अच्छा होगा । मुंगे की अंगूठी को विधिपूर्वक उपासनादि तथा ॐअं अंगारकाय नमः १०००० बार निम्न- लिखित मन्त्र का जाप करने के पश्चात् किसी शुक्ल पक्ष के मंगलवार को सूर्योदय से एक घण्टे पश्चात् धारण करना चाहिए। अँगूठी दाहिने या बायें हाथ की अनामिका अँगुली (Ring finger) में धारण करनी चाहिए ।
धारण विधि रत्न अँगूठी में इस प्रकार जड़ा जाये कि वह त्वचा को स्पर्श करे। ऐसो अँगूठी को Touching ring कहते हैं। अँगूठो शुक्ल पक्ष के किसी रविवार के दिन सूर्योदय के समय धारण करनी चाहिये । धारण करने से पूर्व अँगूठी को कच्चे दूध या गंगाजल में डुबोकर रखना चाहिये । फिर उसको शुद्ध जल से स्नान कराकर पुष्प, चन्दनऔर धूपबत्ती से उसकी उपासना करनी चाहिए
परन्तु सावधान ! मूंगे के साथ पन्ना, हीरा. नीलम, गोमेद और वैदूर्य कभी नहीं धारण करना चाहिए
मूंगा एक अल्पमोली रत्न है और हमारी राय तो यही है कि मूंगा ही धारण करना उचित होगा। परन्तु यदि कोई उसके बदले का रत्न धारण करना चाहें तो वे हैं संगमूंगी, तामड़ा (लाल), लाल जैस्पर और अम्बर (कहरुवा) ।