माणिक्य
माणिक्य कुरुन्दम समूह के रत्न हैं। वे रासायनिक रूप में अल्यूमीनियम आक्साइड हैं। कुरुन्दम के दानेदार रत्नीय पत्थर को ‘ऐमरी‘ कहा जाता है। इनकी कठोरता 9, आपेक्षित गुरुत्व 4.03, वर्त्तनांक 1.76 – 1.77, दुहरावर्तन 0.008 है। द्विर्वाणता तीव्र है।
मेष लग्न में सूर्य पंचम त्रिकोण का स्वामी है और लग्नेश मंगल का मित्र है। अतः मेष लग्न के जातक बुद्धि बल प्राप्त करने, आत्मोन्नति के लिये तथा सन्तान सुख, प्रसिद्धि, राज्य कृपा प्राप्ति के लिये सदा माणिक्य धारण कर सकते हैं। सूर्य की महादशा में उसको धारण करने से शुभ फल प्राप्त होगा ।धारण विधि-जो माणिक्य धारण किया जाये वह कम-से-अपने भजन के दसवां हिस्सा पर रत्ती जैसे कि अगर 60 किलो वजन है तो 6 रत्ती का हो और यथासम्भव शुद्ध हो। उसको रविवार, सोम- बार तथा बृहस्पतिवार की खरीदकार सोने की अंगूठी में जड़वाना चाहिए। रत्न अँगूठी में इस प्रकार जड़ा जाये कि वह त्वचा को स्पर्श करे। ऐसो अँगूठी को Touching ring कहते हैं। अँगूठो शुक्ल पक्ष के किसी रविवार के दिन सूर्योदय के समय धारण करनी चाहिये । धारण करने से पूर्व अँगूठी को कच्चे दूध या गंगाजल में डुबोकर रखना चाहिये । फिर उसको शुद्ध जल से स्नान कराकर पुष्प, चन्दनऔर धूपबत्ती से उसकी उपासना करनी चाहिए और ७००० बार निम्नलिखित मन्त्र का जाप करना चाहिए :
मंत्र – ॐ घृणिः सूर्याय नमः
यह अँगूठी दाहिने हाथ की अनामिका अँगूठी में पहननी चाहिए ।
चेतावनी – माणिक्य रत्न के साथ हीरा, नीलम, गोमेद और लहसुनिया कभी नहीं धारण करना चाहिए ।
कर्क लग्न के लिये सूर्य धन भाव का स्वामी होगा। इस कुण्डली में सूर्य लग्नेश चन्द्र का मित्र भी है। अतः इस कुण्डली के जातक धन-भाव या आँखों में कष्ट होने के समय माणिक्य धारण कर सकते हैं। घन भाव मारक भाव भी है। अतः माणिक्य यदि मोती के साथ धारण किया जाये तो श्रेयस्कर होगा। सूर्य की महा- दशा में माणिक्य विशेषकर शुभ फलदायक होगा। धारण विधि-जो माणिक्य धारण किया जाये वह कम-से-अपने भजन के दसवां हिस्सा पर रत्ती जैसे कि अगर 60 किलो वजन है तो 6 रत्ती का हो और यथासम्भव शुद्ध हो। उसको रविवार, सोम- बार तथा बृहस्पतिवार की खरीदकार सोने की अंगूठी में जड़वाना चाहिए। रत्न अँगूठी में इस प्रकार जड़ा जाये कि वह त्वचा को स्पर्श करे। ऐसो अँगूठी को Touching ring कहते हैं। अँगूठो शुक्ल पक्ष के किसी रविवार के दिन सूर्योदय के समय धारण करनी चाहिये । धारण करने से पूर्व अँगूठी को कच्चे दूध या गंगाजल में डुबोकर रखना चाहिये । फिर उसको शुद्ध जल से स्नान कराकर पुष्प, चन्दनऔर धूपबत्ती से उसकी उपासना करनी चाहिए और ७००० बार निम्नलिखित मन्त्र का जाप करना चाहिए :
मंत्र – ॐ घृणिः सूर्याय नमः
यह अँगूठी दाहिने हाथ की अनामिका अँगूठी में पहननी चाहिए ।
चेतावनी – माणिक्य रत्न के साथ हीरा, नीलम, गोमेद और लहसुनिया कभी नहीं धारण करना चाहिए ।
सिह लग्न में सूर्य लग्नेश है । अतः इस लग्न के लिये माणिक्य अत्यन्त शुभ फलदायक रत्न है और इस लग्न के जातकों को आजीवन माणिक्य धारण करना चाहिये। इसके धारण करने से जातक शत्रुओं के मध्य में निर्भय होकर रह सकेंगे और शत्रु पक्ष से उनके विरुद्ध जो भी कार्यवाही होगी उससे उनकी बराबर रक्षा होती रहेगी। यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा करेगा और आयु में वृद्धि होगी। इस लग्न के जातक अत्यन्त भावुक होते हैं। अतः अपने मानसिक सन्तुलन को बनाये रखने तथा आत्म बल की उन्नति के लिये सदा माणिक्य धारण करना चाहिये ।धारण विधि-जो माणिक्य धारण किया जाये वह कम-से-अपने भजन के दसवां हिस्सा पर रत्ती जैसे कि अगर 60 किलो वजन है तो 6 रत्ती का हो और यथासम्भव शुद्ध हो। उसको रविवार, सोम- बार तथा बृहस्पतिवार की खरीदकार सोने की अंगूठी में जड़वाना चाहिए। रत्न अँगूठी में इस प्रकार जड़ा जाये कि वह त्वचा को स्पर्श करे। ऐसो अँगूठी को Touching ring कहते हैं। अँगूठो शुक्ल पक्ष के किसी रविवार के दिन सूर्योदय के समय धारण करनी चाहिये । धारण करने से पूर्व अँगूठी को कच्चे दूध या गंगाजल में डुबोकर रखना चाहिये । फिर उसको शुद्ध जल से स्नान कराकर पुष्प, चन्दनऔर धूपबत्ती से उसकी उपासना करनी चाहिए और ७००० बार निम्नलिखित मन्त्र का जाप करना चाहिए :
मंत्र – ॐ घृणिः सूर्याय नमः
यह अँगूठी दाहिने हाथ की अनामिका अँगूठी में पहननी चाहिए ।
चेतावनी – माणिक्य रत्न के साथ हीरा, नीलम, गोमेद और लहसुनिया कभी नहीं धारण करना चाहिए ।
वृश्चिक लग्न में सूर्य दशम भाव का स्वामी होता है। यहाँ सूर्य लग्नेश का मित्र होता है। अतः राज्य कृपा, प्रतिष्ठा, मान, व्यवसाय या नौकरी में उन्नति प्राप्त करने के लिये माणिक्य धारण करना शुभ फलप्रद होगा। सूर्य की महादशा में इसका धारण करना विशेष रूप से शुभ होगा।धारण विधि-जो माणिक्य धारण किया जाये वह कम-से-अपने भजन के दसवां हिस्सा पर रत्ती जैसे कि अगर 60 किलो वजन है तो 6 रत्ती का हो और यथासम्भव शुद्ध हो। उसको रविवार, सोम- बार तथा बृहस्पतिवार की खरीदकार सोने की अंगूठी में जड़वाना चाहिए। रत्न अँगूठी में इस प्रकार जड़ा जाये कि वह त्वचा को स्पर्श करे। ऐसो अँगूठी को Touching ring कहते हैं। अँगूठो शुक्ल पक्ष के किसी रविवार के दिन सूर्योदय के समय धारण करनी चाहिये । धारण करने से पूर्व अँगूठी को कच्चे दूध या गंगाजल में डुबोकर रखना चाहिये । फिर उसको शुद्ध जल से स्नान कराकर पुष्प, चन्दनऔर धूपबत्ती से उसकी उपासना करनी चाहिए और ७००० बार निम्नलिखित मन्त्र का जाप करना चाहिए :
मंत्र – ॐ घृणिः सूर्याय नमः
यह अँगूठी दाहिने हाथ की अनामिका अँगूठी में पहननी चाहिए ।
चेतावनी – माणिक्य रत्न के साथ हीरा, नीलम, गोमेद और लहसुनिया कभी नहीं धारण करना चाहिए ।
धनु लग्न में सूर्य नवम (भाग्य) भाव का स्वामी होता है। यहाँ भो वह लग्नेश का मित्र है। अतः धनु लग्न के जातक माणिक्य भाग्योन्नति, आत्मोन्नति तथा पितृ सुख के लिये आवश्यकतानुमार धारण कर सकते हैं। सूर्य की महादशा में माणिक्य विशेष रूप से शुभ होगा।धारण विधि-जो माणिक्य धारण किया जाये वह कम-से-अपने भजन के दसवां हिस्सा पर रत्ती जैसे कि अगर 60 किलो वजन है तो 6 रत्ती का हो और यथासम्भव शुद्ध हो। उसको रविवार, सोम- बार तथा बृहस्पतिवार की खरीदकार सोने की अंगूठी में जड़वाना चाहिए। रत्न अँगूठी में इस प्रकार जड़ा जाये कि वह त्वचा को स्पर्श करे। ऐसो अँगूठी को Touching ring कहते हैं। अँगूठो शुक्ल पक्ष के किसी रविवार के दिन सूर्योदय के समय धारण करनी चाहिये । धारण करने से पूर्व अँगूठी को कच्चे दूध या गंगाजल में डुबोकर रखना चाहिये । फिर उसको शुद्ध जल से स्नान कराकर पुष्प, चन्दनऔर धूपबत्ती से उसकी उपासना करनी चाहिए और ७००० बार निम्नलिखित मन्त्र का जाप करना चाहिए :
मंत्र – ॐ घृणिः सूर्याय नमः
यह अँगूठी दाहिने हाथ की अनामिका अँगूठी में पहननी चाहिए ।
चेतावनी – माणिक्य रत्न के साथ हीरा, नीलम, गोमेद और लहसुनिया कभी नहीं धारण करना चाहिए ।
धारण विधि-जो माणिक्य धारण किया जाये वह कम-से-अपने भजन के दसवां हिस्सा पर रत्ती जैसे कि अगर 60 किलो वजन है तो 6 रत्ती का हो और यथासम्भव शुद्ध हो। उसको रविवार, सोम- बार तथा बृहस्पतिवार की खरीदकार सोने की अंगूठी में जड़वाना चाहिए। रत्न अँगूठी में इस प्रकार जड़ा जाये कि वह त्वचा को स्पर्श करे। ऐसो अँगूठी को Touching ring कहते हैं। अँगूठो शुक्ल पक्ष के किसी रविवार के दिन सूर्योदय के समय धारण करनी चाहिये । धारण करने से पूर्व अँगूठी को कच्चे दूध या गंगाजल में डुबोकर रखना चाहिये । फिर उसको शुद्ध जल से स्नान कराकर पुष्प, चन्दनऔर धूपबत्ती से उसकी उपासना करनी चाहिए और ७००० बार निम्नलिखित मन्त्र का जाप करना चाहिए :
मंत्र – ॐ घृणिः सूर्याय नमः
यह अँगूठी दाहिने हाथ की अनामिका अँगूठी में पहननी चाहिए ।
चेतावनी – माणिक्य रत्न के साथ हीरा, नीलम, गोमेद और लहसुनिया कभी नहीं धारण करना चाहिए ।
माणिक्य एक महंगा रत्न है और सम्भव है, बहुत लोग उसको खरीदने में असमर्थ रहें। वे माणिक्य की बदल के रूप में लालड़ी (Spinel) लाल तामड़ा (Garnet), सूर्यकान्त मणि (Sun Stone) या माणिक्य के रंग का जिरकान पहन सकते हैं। यदि माणिक्य के रंग का हकीक पत्थर मिल जाये तो वह भी बदले में धारण किया जा सकता है