उप रत्न ओर उनके नाम तथा स्वरूप
| (१०) लालड़ी गुलाब के फूल के रंग का रत्न होता है । | ||
| (११) फिरोजा (Turquoise) आसमानी रंग का होता है। | ||
| ११२) रोमनी यह गहरे लाल रंग का कुछ श्यामलता लिए होता है। | ||
| (१३) जबरजद्द (Peridot) यह हल्के रंग का होता है। इसमें सूत नहीं पड़ता । | ||
| (१४) श्रोपल (Opal) सब रंगों में प्राप्त है। इस पर सब रंगों का अंबर पड़ता है। | ||
| १५) तुरमली Tour- maline) – नरम पत्थर है। इसमें कई रंग के रत्न प्राप्त होते हैं। | ||
| (१६) नरम (Spinel Ruby) यह रत्न लाल जर्दपन तथा श्यामपन लिए होता है। | ||
| (१७ सुनेहला (Citrine) सोने के रंग के समान हल्का होता है। | ||
| १८) कटला (Amethyst)- बेंजनी रंग का नीले में धुआँ मिला होता है। | ||
(१६) सितारा (Gold Stone) – गेरुवे रंग का रत्न जिस पर सोने के छींटे पड़े होते हैं । | |||
(२० फिटक- स्फटिक (Rock Crystal) सफेद बिल्लौर को कहते हैं । | |||
(२१) गौदन्ती (Moon Stone)- गाय के दाँत के समान थोड़ा जर्दपन लिए होता है। इसमें सूत भी पड़ते हैं। | |||
(२२) तामड़ा (Garnet)- काले रंग में लाली लिए होता है। | |||
(२३) लूघया– मजीठ के समान लाल रंग का होता है। | |||
(२४) मरियम यह सफेद रंग का होता है। इसकी पालिश अच्छी होती है। | |||
(२५) मकनातीस (Load Stone) इसे चकमक पत्थर कहते हैं। यह सफेद रंग, कुछ श्यामपन लिए हुये होता है। | |||
(२६) सिदूरिया – यह गुलाबी रंग कुछ सफेदी लिये होता है। | |||
२७) नीली नीलम जाति का होता है परन्तु उससे नरम और कुछ जर्दी लिए होता है । | |||
(२८) घनेला (Smoky Quartz) सोने के रंग का कुछ धुआंपन लिये हुए होता है। | |||
(२९) बेरूज (Aquamarine) – इसका हलका हरा पन्ने का सा रंग होता है। | |||
(३०) मरगज (Jade) – यह बिना पानी का हरे रंग का होता है। | |||
(३१) पित्तौनिया (Blood Stone) – यह हरे रंग का पत्थर होता है जिस पर लाल रंग के छींटे होते हैं। | |||
(३२) बाँशी – हलके हरे रंग का संगसम से नरम होता है। इसकी पालिश अच्छी होती है। | |||
(३३) बुर्वेनज्फ कच्चे धान के समान | होता है। पालिश अच्छी होती है | ||
(३४) सुलेमानी (Onyx) काले रंग का पत्थर होता है। उस पर सफेद डोरा होता है । | |||
(३५) आलेमानी यह भी सुलेमानी की जाति का होता है। इसका भूरा रंग होता है। जिस पर डोरा होता है। | |||
(३६) जजेमानी– यह भी सुलेमानी जाति का होता है। रंग भूरा होता है। उस पर डोरा पड़ता है। | |||
(३७) साबोर यह हरे रंग का होता है। इस पर भूरे रंग का डोरा पड़ता है। | |||
(३८) तुरसावा यह बहुत नरम पत्थर होता है। गुलाबी रंगमें कुछ जर्दी होती है। | |||
(३६) अहवा– इसका रंग गुलाबी होता है। उस पर बड़े-बड़े छींटे होते हैं। | |||
(४०) श्राबरी यह काले रंग का पत्थर होता है। | |||
(४१) लाजवत्त (Lapis Lazuli) – यह नीले रंग का नरम पत्थर होता है, जिसमें सफेद बिन्दु या चकत्ते भी पड़े होते हैं। पहले इसी को नीलम समझा जाता था। | |||
(४२) कुदरत यह काले रंग का होता है। उसके ऊपर सफेद जर्द दाग होते हैं। | |||
(४३) चित्ती काले रंग का होता है। उसके ऊपर सोने का सा सफेद डोरा होता है। | |||
(४४) संगसन (White Jade) यह सफेद अंगूरी रंग का होता है। | |||
(४५) लारु जात मारवर की। | |||
(४६) मारवर– यह बाँस जैसे रंग का, लाल तथा सफेद होता है। | |||
(४७) दाना फिरंग (Kidney Stone)- इसका रंग पिश्ते के समान हरा होता है। | |||
(४८ कसौटो– इस पत्थर को सोने की परीक्षा के लिए उपयोग में लाया जाता है। | |||
(४६) दारचना– यह दार चना के समान होता है। । | |||
५०) हकीक गल बहार – यह जल में उत्पन्न होता है। इसका रंग हरा कुछ पीला- पन लिए होता है। इसकी माला बनाई जाती है। | |||
(५१) हालन– यह गुलाबी रंग का होता है। हिलाने पर इसका रंग भी हिलता है। | |||
(५२) सीजरी– यह सफेद रंग का होता है। इस पर काले रंग के वृक्ष का रूप बना होता है । | |||
(५३) मुबेनज्फ यह सफेद रंग का होता है । इसमें बाल के सभान रंगदार रेखा होती है । | |||
(५४) कहरुवा (Ambr) यह लाल रंग का होता है। इसकी माला बनती हैं। | |||
(५५) झना मटिया इसमें पानी देने से झड़ जाता है। | |||
(५६) संगबसरी आँखों के लिये सुरमा बनाने के लिये उपयोग में आता है। | |||
(५७) दांतला पीलापन लिये जूना शंख केसमान । | |||
५८ मकड़ा हलका काला, ऊपर मकड़ी का जाला । | |||
(५६) संगीया शंख के समान सफेद । इसके घड़ी के लाकेट बनते हैं। | |||
(६०) गुदड़ी कई तरह की, इसे फकीर लोग पहनते हैं । | |||
(६१) कामला – रंगहरा सफेदी लिये हुए। | |||
(६२) सिफरी रंग आसमानी हरापन लिये हुए। | |||
(६३) हरीद काला भूरापन लिये हुये । वजन भारी । इसकी माला बनती हैं। | |||
६४) हवास यह हरे रंग का कुछ सुनहला-सा होता है। दवा में काम आता है। | |||
(६५) सींगली यह माणिक्य जाति का रत्न है। लाल रंग कुछ श्याम आभा लिये हुए। | |||
(६६) ढेडी काला। इसके खरल और प्याले बनते हैं। | |||
(६७) हकीक (Agate)- सब रंग का। इसके खिलौने, मूढे, प्याले बनते हैं। | |||
(६८) गौरी सब रंग का। इस पर सफेद सूत होता है। इसके प्याले तथा जवाहरात तौलने के बाट बनते हैं । | |||
(६६) सोयाकाला। इसकी मूर्तियाँ बनती हैं । | |||
(७०) सीमाक– यह लाल रंग का पीलापन लिये होता है। इस पर गुलाबी छींटे होते हैं। इसके खरलादि बनते हैं। | |||
(७१) सूमा – सफेद मटिया रंग। इसके खरल, प्याले आदि बनते हैं । | |||
(७२) पनघन यह काले रंग, कुछ हरापन लिये होता है। इसके खिलौने बनते हैं। | |||
(७३) अमलीया थोड़ा कालापन लिये गुलाबी । इसके खरल बनते हैं।। | |||
७४ हुर कत्थे के रंग का। इसके खरल बनते हैं। | |||
(७५) लिलियर काला रंग, उस पर सफेद छींटे। खरल बनते हैं। | |||
(७६) खारा काला हरापन लिये। खरल बनते हैं। | |||
(७७) वारा जहर – सफेद बाँस जैसा। घाव पर लगाने से घाव ठोक हो जाता है। विवैले घाव शीघ्र ठीक हो जाते हैं। | |||
(७८) सीर खड़ी (Gypsum) – रंग मिट्टी के समान । खिलौने बनते हैं। | |||
(७६) जहर मोहरा कुछ हरापन लिये हुये सफेद । इसके प्याले में विष भी अपने कुप्रभाव को खो बैठता है। | |||
(८०) रवात यह लाल रंग का होता है। रात में ज्वर आये तो बगल में बाँधने से लाभ होता है। यह नीले रंग का भी होता है, जिसका औषधि बनाने में उपयोग होता है। | |||
(८१) सोहन मक्खो सफेद मिट्टी के समान । मूत्र रोग में लाभ पहुंचाता है। | |||
(८२) हजरते ऊद – काला, आँख के लिये औषधि बनती है। | |||
(८३) सुरमा काला । | |||
(८४ पारस -लोहे को स्पर्श करे तो सोना बन जाये । यह दुर्लभ वस्तु है | |||